Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास के परिजनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित मुआवज़े को लेने से साफ इनकार कर दिया
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास के परिजनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित मुआवज़े को लेने से साफ इनकार कर दिया। पीड़ित परिवार का कहना है कि अब मुआवज़े का कोई मतलब नहीं बचा, क्योंकि जिन दो अनमोल जिंदगियों को उन्होंने खोया है, वे कभी लौटकर नहीं आएंगी।
मृतकों के परिवार के मुताबिक यदि पुलिस समय पर पहुंच जाती तो शायद वे बच जाते। अब जब वे नहीं रहे तो इस मुआवज़े का हमारे लिए कोई मूल्य नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि हिंसा के बाद इलाके में भय का माहौल अभी भी बना हुआ है। 15 अप्रैल को पिता-पुत्र के श्राद्ध में जरूरी कर्मकांड कराने के लिए पुजारी और नाई भी डर के कारण नहीं पहुंचे।
इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग की एक टीम शुक्रवार या शनिवार को कोलकाता पहुंचेगी और उन परिवारों की महिला सदस्यों से बातचीत करेगी जो इस हिंसा के चलते विस्थापित हुई हैं। टीम मुर्शिदाबाद जिले के ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी मिलकर हिंसा के बारे में जानकारी प्राप्त करेगी।
उल्लेखनीय है कि मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में 12 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की घर में घुसकर हत्या कर दी थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय के इमामों और धार्मिक नेताओं के साथ बैठक के दौरान हिंसा में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को दस लाख रुपये मुआवज़ा देने की घोषणा की थी। लेकिन गुरुवार को मृतकों के परिजनों ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया।